- اشارة
- کِتَابُ الْقَضَایَا وَ الْأَحْکَامِ
- 1 بَابُ مَنْ إِلَیْهِ الْحُکْمُ وَ أَقْسَامِ الْقُضَاةِ وَ الْمُفْتِینَ
- [الحدیث 1]
- [الحدیث 2]
- [الحدیث 3]
- [الحدیث 4]
- [الحدیث 5]
- [الحدیث 6]
- [الحدیث 7]
- [الحدیث 8]
- [الحدیث 9]
- [الحدیث 10]
- [الحدیث 11]
- [الحدیث 12]
- [الحدیث 13]
- [الحدیث 14]
- [الحدیث 15]
- [الحدیث 16]
- [الحدیث 17]
- [الحدیث 18]
- [الحدیث 19]
- [الحدیث 20]
- [الحدیث 21]
- [الحدیث 22]
- [الحدیث 23]
- [الحدیث 24]
- [الحدیث 25]
- [الحدیث 26]
- [الحدیث 27]
- [الحدیث 28]
- [الحدیث 29]
- [الحدیث 30]
- [الحدیث 31]
- [الحدیث 32]
- 2 بَابُ آدَابِ الْحُکَّامِ
- 3 بَابُ کَیْفِیَّةِ الْحُکْمِ وَ الْقَضَاءِ
- 4 بَابُ الْبَیِّنَتَیْنِ یَتَقَابَلَانِ أَوْ یَتَرَجَّحُ بَعْضُهَا عَلَی بَعْضٍ وَ حُکْمِ الْقُرْعَةِ
- 5 بَابُ الْبَیِّنَاتِ
- [الحدیث 1]
- [الحدیث 2]
- [الحدیث 3]
- [الحدیث 4]
- [الحدیث 5]
- [الحدیث 6]
- [الحدیث 7]
- [الحدیث 8]
- [الحدیث 9]
- [الحدیث 10]
- [الحدیث 11]
- [الحدیث 12]
- [الحدیث 13]
- [الحدیث 14]
- [الحدیث 15]
- [الحدیث 16]
- [الحدیث 17]
- [الحدیث 18]
- [الحدیث 19]
- [الحدیث 20]
- [الحدیث 21]
- [الحدیث 22]
- [الحدیث 23]
- [الحدیث 24]
- [الحدیث 25]
- [الحدیث 26]
- [الحدیث 27]
- [الحدیث 28]
- [الحدیث 29]
- [الحدیث 30]
- [الحدیث 31]
- [الحدیث 32]
- [الحدیث 33]
- [الحدیث 34]
- [الحدیث 35]
- [الحدیث 36]
- [الحدیث 37]
- [الحدیث 38]
- [الحدیث 39]
- [الحدیث 40]
- [الحدیث 41]
- [الحدیث 42]
- [الحدیث 43]
- [الحدیث 44]
- [الحدیث 45]
- [الحدیث 46]
- [الحدیث 47]
- [الحدیث 48]
- [الحدیث 49]
- [الحدیث 50]
- [الحدیث 51]
- [الحدیث 52]
- [الحدیث 53]
- [الحدیث 54]
- [الحدیث 55]
- [الحدیث 56]
- [الحدیث 57]
- [الحدیث 58]
- [الحدیث 59]
- [الحدیث 60]
- [الحدیث 61]
- [الحدیث 62]
- [الحدیث 63]
- [الحدیث 64]
- [الحدیث 65]
- [الحدیث 66]
- [الحدیث 67]
- [الحدیث 68]
- [الحدیث 69]
- [الحدیث 70]
- [الحدیث 71]
- [الحدیث 72]
- [الحدیث 73]
- [الحدیث 74]
- [الحدیث 75]
- [الحدیث 76]
- [الحدیث 77]
- [الحدیث 78]
- [الحدیث 79]
- [الحدیث 80]
- [الحدیث 81]
- [الحدیث 82]
- [الحدیث 83]
- [الحدیث 84]
- [الحدیث 85]
- [الحدیث 86]
- [الحدیث 87]
- [الحدیث 88]
- [الحدیث 89]
- [الحدیث 90]
- [الحدیث 91]
- [الحدیث 92]
- [الحدیث 93]
- [الحدیث 94]
- [الحدیث 95]
- [الحدیث 96]
- [الحدیث 97]
- [الحدیث 98]
- [الحدیث 99]
- [الحدیث 100]
- [الحدیث 101]
- [الحدیث 102]
- [الحدیث 103]
- [الحدیث 104]
- [الحدیث 105]
- [الحدیث 106]
- [الحدیث 107]
- [الحدیث 108]
- [الحدیث 109]
- [الحدیث 110]
- [الحدیث 111]
- [الحدیث 112]
- [الحدیث 113]
- [الحدیث 114]
- [الحدیث 115]
- [الحدیث 116]
- [الحدیث 117]
- [الحدیث 118]
- [الحدیث 119]
- [الحدیث 120]
- [الحدیث 121]
- [الحدیث 122]
- [الحدیث 123]
- [الحدیث 124]
- [الحدیث 125]
- [الحدیث 126]
- [الحدیث 127]
- [الحدیث 128]
- [الحدیث 129]
- [الحدیث 130]
- [الحدیث 131]
- [الحدیث 132]
- [الحدیث 133]
- [الحدیث 134]
- [الحدیث 135]
- [الحدیث 136]
- [الحدیث 137]
- [الحدیث 138]
- [الحدیث 139]
- [الحدیث 140]
- [الحدیث 141]
- [الحدیث 142]
- [الحدیث 143]
- [الحدیث 144]
- [الحدیث 145]
- [الحدیث 146]
- [الحدیث 147]
- [الحدیث 148]
- [الحدیث 149]
- [الحدیث 150]
- [الحدیث 151]
- [الحدیث 152]
- [الحدیث 153]
- [الحدیث 154]
- [الحدیث 155]
- [الحدیث 156]
- [الحدیث 157]
- [الحدیث 158]
- [الحدیث 159]
- [الحدیث 160]
- [الحدیث 161]
- [الحدیث 162]
- [الحدیث 163]
- [الحدیث 164]
- [الحدیث 165]
- [الحدیث 166]
- [الحدیث 167]
- [الحدیث 168]
- [الحدیث 169]
- [الحدیث 170]
- [الحدیث 171]
- [الحدیث 172]
- [الحدیث 173]
- [الحدیث 174]
- [الحدیث 175]
- [الحدیث 176]
- [الحدیث 177]
- [الحدیث 178]
- [الحدیث 179]
- [الحدیث 180]
- [الحدیث 181]
- [الحدیث 182]
- [الحدیث 183]
- [الحدیث 184]
- [الحدیث 185]
- [الحدیث 186]
- [الحدیث 187]
- [الحدیث 188]
- [الحدیث 189]
- [الحدیث 190]
- [الحدیث 191]
- [الحدیث 192]
- [الحدیث 193]
- [الحدیث 194]
- [الحدیث 195]
- [الحدیث 196]
- [الحدیث 197]
- [الحدیث 198]
- 6 بَابٌ مِنَ الزِّیَادَاتِ فِی الْقَضَایَا وَ الْأَحْکَامِ
- [الحدیث 1]
- [الحدیث 2]
- [الحدیث 3]
- [الحدیث 4]
- [الحدیث 5]
- [الحدیث 6]
- [الحدیث 7]
- [الحدیث 8]
- [الحدیث 9]
- [الحدیث 10]
- [الحدیث 11]
- [الحدیث 12]
- [الحدیث 13]
- [الحدیث 14]
- [الحدیث 15]
- [الحدیث 16]
- [الحدیث 17]
- [الحدیث 18]
- [الحدیث 19]
- [الحدیث 20]
- [الحدیث 21]
- [الحدیث 22]
- [الحدیث 23]
- [الحدیث 24]
- [الحدیث 25]
- [الحدیث 26]
- [الحدیث 27]
- [الحدیث 28]
- [الحدیث 29]
- [الحدیث 30]
- [الحدیث 31]
- [الحدیث 32]
- [الحدیث 33]
- [الحدیث 34]
- [الحدیث 35]
- [الحدیث 36]
- [الحدیث 37]
- [الحدیث 38]
- [الحدیث 39]
- [الحدیث 40]
- [الحدیث 41]
- [الحدیث 42]
- [الحدیث 43]
- [الحدیث 44]
- [الحدیث 45]
- [الحدیث 46]
- [الحدیث 47]
- [الحدیث 48]
- [الحدیث 49]
- [الحدیث 50]
- [الحدیث 51]
- [الحدیث 52]
- [الحدیث 53]
- [الحدیث 54]
- [الحدیث 55]
- [الحدیث 56]
- [الحدیث 57]
- [الحدیث 58]
- [الحدیث 59]
- [الحدیث 60]
- [الحدیث 61]
- [الحدیث 62]
- [الحدیث 63]
- [الحدیث 64]
- [الحدیث 65]
- [الحدیث 66]
- [الحدیث 67]
- [الحدیث 68]
- [الحدیث 69]
- [الحدیث 70]
- [الحدیث 71]
- [الحدیث 72]
- [الحدیث 73]
- [الحدیث 74]
- [الحدیث 75]
- [الحدیث 76]
- [الحدیث 77]
- [الحدیث 78]
- [الحدیث 79]
- [الحدیث 80]
- [الحدیث 81]
- [الحدیث 82]
- [الحدیث 83]
- [الحدیث 84]
- [الحدیث 85]
- [الحدیث 86]
- 1 بَابُ مَنْ إِلَیْهِ الْحُکْمُ وَ أَقْسَامِ الْقُضَاةِ وَ الْمُفْتِینَ
- کِتَابُ الْمَکَاسِبِ
- 1 بَابُ الْمَکَاسِبِ
- [الحدیث 1]
- [الحدیث 2]
- [الحدیث 3]
- [الحدیث]
- [الحدیث 5]
- [الحدیث 6]
- [الحدیث 7]
- [الحدیث 8]
- [الحدیث 9]
- [الحدیث 10]
- [الحدیث 11]
- [الحدیث 12]
- [الحدیث 13]
- [الحدیث 14]
- [الحدیث 15]
- [الحدیث 16]
- [الحدیث 17]
- [الحدیث 18]
- [الحدیث 19]
- [الحدیث 20]
- [الحدیث 21]
- [الحدیث 22]
- [الحدیث 23]
- [الحدیث 24]
- [الحدیث 25]
- [الحدیث 26]
- [الحدیث 27]
- [الحدیث 28]
- [الحدیث 29]
- [الحدیث 30]
- [الحدیث 31]
- [الحدیث 32]
- [الحدیث 33]
- [الحدیث 34]
- [الحدیث 35]
- [الحدیث 36]
- [الحدیث 37]
- [الحدیث 38]
- [الحدیث 39]
- [الحدیث 40]
- [الحدیث 41]
- [الحدیث 42]
- [الحدیث 43]
- [الحدیث 44]
- [الحدیث 45]
- [الحدیث 46]
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- [الحدیث 48]
- [الحدیث 49]
- [الحدیث 50]
- [الحدیث 51]
- [الحدیث 52]
- [الحدیث 53]
- [الحدیث 54]
- [الحدیث 55]
- [الحدیث 56]
- [الحدیث 57]
- [الحدیث 58]
- [الحدیث 59]
- [الحدیث 60]
- [الحدیث 61]
- [الحدیث 62]
- [الحدیث 63]
- [الحدیث 64]
- [الحدیث 65]
- [الحدیث 66]
- [الحدیث 67]
- [الحدیث 68]
- [الحدیث 69]
- [الحدیث 70]
- [الحدیث 71]
- [الحدیث 72]
- [الحدیث 73]
- [الحدیث 74]
- [الحدیث 75]
- [الحدیث 76]
- [الحدیث 77]
- [الحدیث 78]
- [الحدیث 79]
- [الحدیث 80]
- [الحدیث 81]
- [الحدیث 82]
- [الحدیث 83]
- [الحدیث 84]
- [الحدیث 85]
- [الحدیث 86]
- [الحدیث 87]
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- [الحدیث 90]
- [الحدیث 91]
- [الحدیث 92]
- [الحدیث 93]
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- [الحدیث 95]
- [الحدیث 96]
- [الحدیث 97]
- [الحدیث 98]
- [الحدیث 99]
- [الحدیث 100]
- [الحدیث 101]
- [الحدیث 102]
- [الحدیث 103]
- [الحدیث 104]
- [الحدیث 105]
- [الحدیث 106]
- [الحدیث 107]
- [الحدیث 108]
- [الحدیث 109]
- [الحدیث 110]
- [الحدیث 111]
- [الحدیث 112]
- [الحدیث 113]
- [الحدیث 114]
- [الحدیث 115]
- [الحدیث 116]
- [الحدیث 117]
- [الحدیث 118]
- [الحدیث 119]
- [الحدیث 120]
- [الحدیث 121]
- [الحدیث 122]
- [الحدیث 123]
- [الحدیث 124]
- [الحدیث 125]
- [الحدیث 126]
- [الحدیث 127]
- [الحدیث 128]
- [الحدیث 129]
- [الحدیث 130]
- [الحدیث 131]
- [الحدیث 132]
- [الحدیث 133]
- [الحدیث 134]
- [الحدیث 135]
- [الحدیث 136]
- [الحدیث 137]
- [الحدیث 138]
- [الحدیث 139]
- [الحدیث 140]
- [الحدیث 141]
- [الحدیث 142]
- [الحدیث 143]
- [الحدیث 144]
- [الحدیث 145]
- [الحدیث 146]
- [الحدیث 147]
- [الحدیث 148]
- [الحدیث 149]
- [الحدیث 150]
- [الحدیث 151]
- [الحدیث 152]
- [الحدیث 153]
- [الحدیث 154]
- [الحدیث 155]
- [الحدیث 156]
- [الحدیث 157]
- [الحدیث 158]
- [الحدیث 159]
- [الحدیث 160]
- [الحدیث 161]
- [الحدیث 162]
- [الحدیث 163]
- [الحدیث 164]
- [الحدیث 165]
- [الحدیث 166]
- [الحدیث 167]
- [الحدیث 168]
- [الحدیث 169]
- [الحدیث 170]
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- [الحدیث 185]
- [الحدیث 186]
- [الحدیث 187]
- [الحدیث 188]
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- [الحدیث 190]
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- [الحدیث 196]
- [الحدیث 197]
- [الحدیث 198]
- [الحدیث 199]
- [الحدیث 200]
- [الحدیث 201]
- [الحدیث 202]
- [الحدیث 203]
- [الحدیث 204]
- [الحدیث 205]
- [الحدیث 206]
- [الحدیث 207]
- [الحدیث 208]
- [الحدیث 209]
- [الحدیث 210]
- [الحدیث 211]
- [الحدیث 212]
- [الحدیث 213]
- [الحدیث 214]
- [الحدیث 215]
- [الحدیث 216]
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- [الحدیث 218]
- [الحدیث 219]
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- [الحدیث 221]
- [الحدیث 222]
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- [الحدیث 224]
- [الحدیث 225]
- [الحدیث 226]
- [الحدیث 227]
- [الحدیث 228]
- [الحدیث 229]
- [الحدیث 230]
- [الحدیث 231]
- [الحدیث 232]
- [الحدیث 233]
- [الحدیث 234]
- [الحدیث 235]
- [الحدیث 236]
- [الحدیث 237]
- [الحدیث 238]
- [الحدیث 239]
- [الحدیث 240]
- [الحدیث 241]
- [الحدیث 242]
- [الحدیث 243]
- [الحدیث 244]
- [الحدیث 245]
- [الحدیث 246]
- [الحدیث 247]
- [الحدیث 248]
- [الحدیث 249]
- [الحدیث 250]
- [الحدیث 251]
- [الحدیث 252]
- [الحدیث 253]
- [الحدیث 254]
- [الحدیث 255]
- [الحدیث 256]
- [الحدیث 257]
- [الحدیث 258]
- [الحدیث 259]
- [الحدیث 260]
- [الحدیث 261]
- [الحدیث 262]
- [الحدیث 263]
- [الحدیث 264]
- [الحدیث 265]
- [الحدیث 266]
- [الحدیث 267]
- [الحدیث 268]
- [الحدیث 269]
- [الحدیث 270]
- [الحدیث 271]
- [الحدیث 272]
- [الحدیث 273]
- [الحدیث 274]
- [الحدیث 275]
- [الحدیث 276]
- [الحدیث 277]
- [الحدیث 278]
- [الحدیث 279]
- [الحدیث 280]
- [الحدیث 281]
- 2 بَابُ اللُّقَطَةِ وَ الضَّالَّةِ
- [الحدیث 1]
- [الحدیث 2]
- [الحدیث 3]
- [الحدیث 4]
- [الحدیث 5]
- [الحدیث 6]
- [الحدیث 7]
- [الحدیث 8]
- [الحدیث 9]
- [الحدیث 10]
- [الحدیث 11]
- [الحدیث 12]
- [الحدیث 13]
- [الحدیث 14]
- [الحدیث 15]
- [الحدیث 16]
- [الحدیث 17]
- [الحدیث 18]
- [الحدیث 19]
- [الحدیث 20]
- [الحدیث 21]
- [الحدیث 22]
- [الحدیث 23]
- [الحدیث 24]
- [الحدیث 25]
- [الحدیث 26]
- [الحدیث 27]
- [الحدیث 28]
- [الحدیث 29]
- [الحدیث 30]
- [الحدیث 31]
- [الحدیث 32]
- [الحدیث 33]
- [الحدیث 34]
- [الحدیث 35]
- [الحدیث 36]
- [الحدیث 37]
- [الحدیث 38]
- [الحدیث 39]
- [الحدیث 40]
- [الحدیث 41]
- [الحدیث 42]
- [الحدیث 43]
- 1 بَابُ الْمَکَاسِبِ
- کِتَابُ التِّجَارَاتِ
- 1 بَابُ فَضْلِ التِّجَارَةِ وَ آدَابِهَا وَ غَیْرِ ذَلِکَ مِمَّا یَنْبَغِی لِلتَّاجِرِ أَنْ یَعْرِفَهُ وَ حُکْمِ الرِّبَا
- [الحدیث 1]
- [الحدیث 2]
- [الحدیث 3]
- [الحدیث 4]
- [الحدیث 5]
- [الحدیث 6]
- [الحدیث 7]
- [الحدیث 8]
- [الحدیث 9]
- [الحدیث 10]
- [الحدیث 11]
- [الحدیث 12]
- [الحدیث 13]
- [الحدیث 14]
- [الحدیث 15]
- [الحدیث 16]
- [الحدیث 17]
- [الحدیث 18]
- [الحدیث 19]
- [الحدیث 20]
- [الحدیث 21]
- [الحدیث 22]
- [الحدیث 23]
- [الحدیث 24]
- [الحدیث 25]
- [الحدیث 26]
- [الحدیث 27]
- [الحدیث 28]
- [الحدیث 29]
- [الحدیث 30]
- [الحدیث 31]
- [الحدیث 32]
- [الحدیث 33]
- [الحدیث 34]
- [الحدیث 35]
- [الحدیث 36]
- [الحدیث 37]
- [الحدیث 38]
- [الحدیث 39]
- [الحدیث 40]
- [الحدیث 41]
- [الحدیث 42]
- [الحدیث 43]
- [الحدیث 44]
- [الحدیث 45]
- [الحدیث 46]
- [الحدیث 47]
- [الحدیث 48]
- [الحدیث 49]
- [الحدیث 50]
- [الحدیث 51]
- [الحدیث 52]
- [الحدیث 53]
- [الحدیث 54]
- [الحدیث 55]
- [الحدیث 56]
- [الحدیث 57]
- [الحدیث 58]
- [الحدیث 59]
- [الحدیث 60]
- [الحدیث 61]
- [الحدیث 62]
- [الحدیث 63]
- [الحدیث 64]
- [الحدیث 65]
- [الحدیث 66]
- [الحدیث 67]
- [الحدیث 68]
- [الحدیث 69]
- [الحدیث 70]
- [الحدیث 71]
- [الحدیث 72]
- [الحدیث 73]
- [الحدیث 74]
- [الحدیث 75]
- [الحدیث 76]
- [الحدیث 77]
- [الحدیث 78]
- [الحدیث 79]
- [الحدیث 80]
- [الحدیث 81]
- [الحدیث 82]
- [الحدیث 83]
- 2 بَابُ عُقُودِ الْبَیْعِ
- [الحدیث 1]
- [الحدیث 2]
- [الحدیث 3]
- [الحدیث 4]
- [الحدیث 5]
- [الحدیث 6]
- [الحدیث 7]
- [الحدیث 8]
- [الحدیث 9]
- [الحدیث 10]
- [الحدیث 11]
- [الحدیث 12]
- [الحدیث 13]
- [الحدیث 14]
- [الحدیث 15]
- [الحدیث 16]
- [الحدیث 17]
- [الحدیث 18]
- [الحدیث 19]
- [الحدیث 20]
- [الحدیث 21]
- [الحدیث 22]
- [الحدیث 23]
- [الحدیث 24]
- [الحدیث 25]
- [الحدیث 26]
- [الحدیث 27]
- [الحدیث 28]
- [الحدیث 29]
- 3 بَابُ بَیْعِ الْمَضْمُونِ
- [الحدیث 1]
- [الحدیث 2]
- [الحدیث 3]
- [الحدیث 4]
- [الحدیث 5]
- [الحدیث 6]
- [الحدیث 7]
- [الحدیث 8]
- [الحدیث 9]
- [الحدیث 10]
- [الحدیث 11]
- [الحدیث 12]
- [الحدیث 13]
- [الحدیث 14]
- [الحدیث 15]
- [الحدیث 16]
- [الحدیث 17]
- [الحدیث 18]
- [الحدیث 19]
- [الحدیث 20]
- [الحدیث 21]
- [الحدیث 22]
- [الحدیث 23]
- [الحدیث 24]
- [الحدیث 25]
- [الحدیث 26]
- [الحدیث 27]
- [الحدیث 28]
- [الحدیث 29]
- [الحدیث 30]
- [الحدیث 31]
- [الحدیث 32]
- [الحدیث 33]
- [الحدیث 34]
- [الحدیث 35]
- [الحدیث 36]
- [الحدیث 37]
- [الحدیث 38]
- [الحدیث 39]
- [الحدیث 40]
- [الحدیث 41]
- [الحدیث 42]
- [الحدیث 43]
- [الحدیث 44]
- [الحدیث 45]
- [الحدیث 46]
- [الحدیث 47]
- [الحدیث 48]
- [الحدیث 49]
- [الحدیث 50]
- [الحدیث 51]
- [الحدیث 52]
- [الحدیث 53]
- [الحدیث 54]
- [الحدیث 55]
- [الحدیث 56]
- [الحدیث 57]
- [الحدیث 58]
- [الحدیث 59]
- [الحدیث 60]
- [الحدیث 61]
- [الحدیث 62]
- [الحدیث 63]
- [الحدیث 64]
- [الحدیث 65]
- [الحدیث 66]
- [الحدیث 67]
- [الحدیث 68]
- [الحدیث 69]
- [الحدیث 70]
- [الحدیث 71]
- [الحدیث 72]
- [الحدیث 73]
- [الحدیث 74]
- [الحدیث 75]
- [الحدیث 76]
- [الحدیث 77]
- [الحدیث 78]
- [الحدیث 79]
- [الحدیث 80]
- [الحدیث 81]
- [الحدیث 82]
- [الحدیث 83]
- [الحدیث 84]
- [الحدیث 85]
- [الحدیث 86]
- [الحدیث 87]
- [الحدیث 88]
- 4 بَابُ الْبَیْعِ بِالنَّقْدِ وَ النَّسِیئَةِ
- [الحدیث 1]
- [الحدیث 2]
- [الحدیث 3]
- [الحدیث 4]
- [الحدیث 5]
- [الحدیث 6]
- [الحدیث 7]
- [الحدیث 8]
- [الحدیث 9]
- [الحدیث 10]
- [الحدیث 11]
- [الحدیث 12]
- [الحدیث 13]
- [الحدیث 14]
- [الحدیث 15]
- [الحدیث 16]
- [الحدیث 17]
- [الحدیث 18]
- [الحدیث 19]
- [الحدیث 20]
- [الحدیث 21]
- [الحدیث 22]
- [الحدیث 23]
- [الحدیث 24]
- [الحدیث 25]
- [الحدیث 26]
- [الحدیث 27]
- [الحدیث 28]
- [الحدیث 29]
- [الحدیث 30]
- [الحدیث 31]
- [الحدیث 32]
- [الحدیث 33]
- [الحدیث 34]
- [الحدیث 35]
- [الحدیث 36]
- [الحدیث 37]
- [الحدیث 38]
- [الحدیث 39]
- [الحدیث 40]
- [الحدیث 41]
- [الحدیث 42]
- [الحدیث 43]
- [الحدیث 44]
- [الحدیث 45]
- [الحدیث 46]
- [الحدیث 47]
- [الحدیث 48]
- [الحدیث 49]
- [الحدیث 50]
- [الحدیث 51]
- [الحدیث 52]
- [الحدیث 53]
- [الحدیث 54]
- [الحدیث 55]
- [الحدیث 56]
- 1 بَابُ فَضْلِ التِّجَارَةِ وَ آدَابِهَا وَ غَیْرِ ذَلِکَ مِمَّا یَنْبَغِی لِلتَّاجِرِ أَنْ یَعْرِفَهُ وَ حُکْمِ الرِّبَا
ملاذ الأخیار فی فهم تهذیب الأخبار المجلد 10
اشاره
سرشناسه : طوسی، محمدبن حسن، ق 460 - 385
عنوان قراردادی : [تهذیب الاحکام. شرح]
عنوان و نام پدیدآور : ملاذ الاخیار فی فهم تهذیب الاخبار [محمدبن حسن طوسی]/ تالیف محمدباقر المجلسی؛ تحقیق مهدی الرجائی؛ باهتمام محمود المرعشی
مشخصات نشر : قم: مکتبه آیه الله المرعشی العامه، 1406ق. = 1364.
مشخصات ظاهری : 16 ج.نمونه
فروست : (مخطوطات مکتبه آیه الله المرعشی العامه 15)
وضعیت فهرست نویسی : فهرستنویسی قبلی
یادداشت : "شرحی است بر تهذیب الاحکام در شرح المقتعه للشیخ المفید"
یادداشت : کتابنامه به صورت زیرنویس
عنوان دیگر : تهذیب الاحکام
عنوان دیگر : المقنعه
موضوع : احادیث شیعه -- قرن ق 5
شناسه افزوده : مفید، محمدبن محمد، 413 - 336ق. المقنعه
شناسه افزوده : مجلسی، محمدباقربن محمدتقی، 1111 - 1037ق. شارح
شناسه افزوده : رجائی، مهدی، 1336 - ، مصحح
رده بندی کنگره : BP130/ط9ت 9026
رده بندی دیویی : 297/212
شماره کتابشناسی ملی : م 67-339
کِتَابُ الْقَضَایَا وَ الْأَحْکَامِ
1 بَابُ مَنْ إِلَیْهِ الْحُکْمُ وَ أَقْسَامِ الْقُضَاهِ وَ الْمُفْتِینَ
[الحدیث 1]
1 مُحَمَّدُ بْنُ أَحْمَدَ بْنِ یَحْیَی عَنْ یَعْقُوبَ بْنِ یَزِیدَ عَنْ یَحْیَی بْنِ الْمُبَارَکِ عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ جَبَلَهَ عَنْ أَبِی جَمِیلَهَ عَنْ إِسْحَاقَ بْنِ عَمَّارٍ عَنْ أَبِی عَبْدِ اللَّهِ ع قَالَ
______________________________
باب من إلیه الحکم و أقسام القضاه و المفتین الحدیث الأول: ضعیف.
قوله علیه السلام: أو وصی نبی قال الوالد العلامه طاب ثراه: و فی الکافی" أو وصی" و الغرض بیان
ملاذ الأخیار فی فهم تهذیب الأخبار، ج 10، ص: 8
قَالَ أَمِیرُ الْمُؤْمِنِینَ ع لِشُرَیْحٍ یَا شُرَیْحُ قَدْ جَلَسْتَ مَجْلِساً لَا یَجْلِسُهُ إِلَّا نَبِیٌّ أَوْ وَصِیُّ نَبِیٍّ أَوْ شَقِیٌّ.
[الحدیث 2]
2 عَلِیُّ بْنُ إِبْرَاهِیمَ عَنْ أَبِیهِ عَنِ ابْنِ أَبِی عُمَیْرٍ عَنْ هِشَامِ بْنِ سَالِمٍ عَنْ أَبِی عَبْدِ اللَّهِ ع قَالَ لَمَّا وَلَّی أَمِیرُ الْمُؤْمِنِینَ ع شُرَیْحاً الْقَضَاءَ اشْتَرَطَ عَلَیْهِ أَلَّا یُنْفِذَ الْقَضَاءَ حَتَّی یَعْرِضَهُ عَلَیْهِ
______________________________
شقاوه شریح، فإنه لم یکن منصوبا من قبله صلوات الله علیه، بل من قبل من کان قبله و أراد عزله و لم یتیسر له. و الظاهر أن المنصوب من قبل المعصوم بمنزله الوصی. انتهی.
و الحاصل أن الحصر إضافی بالنسبه إلی من ارتکب ذلک بغیر إذن الإمام. أو المراد لا یجلسه بالأصاله إلا النبی و الوصی. و یحتمل أن یکون الغرض بیان صعوبه القضاء، و أنه لغیر المعصوم غالبا یستلزم الشقاء.
أو المعنی: أنه من زمن النبی صلی الله علیه و آله إلی هذا الزمان ما جلس فیه إلا هذه الثلاثه الأصناف، و یؤیده أن فی الفقیه" ما جلسه".
و بالجمله ظاهر تلک الأخبار عدم جواز ارتکاب القضاء لغیر المعصوم، و لا ریب فی جوازه لغیره، کالقضاه المنصوبه فی زمن الرسول و أئمه الحق صلوات الله علیهم، فلا بد من تأویل فیها.
و ربما یقرأ" یجلسه"